November 13, 2010

तुमको सोचा तो ये ख्याल आया....


तुमको सोचा तो ये  ख्याल आया....... 
तुमको देखा तो ये ख्याल आया

तुम्हें क्यूँ ना पाया ये ख्याल आया.....
तुम्हें ना पाने का फिर मलाल आया

कुदरत ने जो नायाब बनाया उसपे नाज़ आया....
उस नायाब को पाने का फिर ख्वाब  आया

तुमको सोचा तो ये ख्याल आया....
मन में सोचा तो ये सवाल आया

क्यूँ कुछ ख्वाब, ख्वाब ही रह जाते....
रेत  के घरोंदे की तरह ढह जाते

क्यूँ  कुछ सपने बस सपने ही रह जाते....
आँखें खुलते ही हकीक़त की याद दिलाते

तुमको सोचा तो ये ख्याल आया....

कि बातें कुछ तुम्हारी बस दिल में घर कर जाती...
रह-रह के तुम्हारी याद दिला जाती

यादें तुम्हारी पल-पल मुझे सताती....
इक पल मिलने को उकसाती

पर फिर मन में वही ख्याल आता है...
तुम्हें ना पाने का मलाल आता है

लेकिन दिल में इक आस अभी भी है...
तुमसे मिलने कि प्यास अभी भी है

ख्वाब कैसे भी हों...
उनको पाने कि चाह अभी भी है

सपने कैसे भी हों...
उनके हकीकत में बदलने कि आस अभी भी है

तुमको सोचा तो ये  ख्याल आया.......
तुमको देखा तो ये ख्याल आया
*・゜゚・*:....:*'(**)'*:.. ..:*・゜゚・*


*dedicated to someone special

8 comments :

  1. आज 27/11/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  2. sundar khwab , ...nice blog , varification hata len

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  3. अच्छा खयाल .... सुंदर प्रस्तुति

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  4. खूबसूरत ख्यालों की एक निराली दुनिया

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  5. @यशवन्त माथुर: धन्यवाद ! :)

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  6. @shashi purwar: thanks for appreciating :) and for the suggestions too. I will take care :)

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  7. @संगीता स्वरुप जी: सराहने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद :)

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  8. @Anju: जी हाँ, बहुत निराली है ये दुनिया। मेरी रचनाओं को पढने एवं सराहने के लिए धन्यवाद :)

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